पद्मावती विवाद: तब कहाँ थे फ़िल्म इंडस्ट्री वाले जब श्याम रंगीला को मोदी जी की मिमिक्री करने पर शो से निकाल दिया गया था?
पद्मावती पर हो रहा बवाल रुकने का नाम नहीं ले रहा है, जहाँ एक तरफ राजपूत समाज सहित तमाम हिन्दू संगठनो ने पद्मावती को रिलीज़ ना होने देने का मन बना रखा है तो दूसरी ओर पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री ने भी एकजुट हो कर इस विरोध का विरोध करना शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि पद्मावती विवाद पर संजय लीला भंसाली का समर्थन करने वाले फ़िल्म इंडस्ट्री के ये लोग तब कहाँ थे जब हालही में राजस्थानी हास्य कलाकार श्याम रंगीला को मोदी जी की मिमिक्री करने पर एक शो से निकाल दिया गया था? इस तरह से एकजुट हो कर विरोध का विरोध करने वालो ने तब श्याम रंगीला का समर्थन क्यों नहीं किया?
श्याम रंगीला एक हास्य कलाकार है और मोदी जी की नक़ल उतारने में माहिर है और उसका ये ही अंदाज़ दर्शको को लुभाता है. YouTube पर मोदी जी एवं राहुल गाँधी जी की मिमक्री करके श्याम रंगीला ने देश में लोकप्रियता हांसिल की थी और उसी की वजह से उसे इस शो में लिया गया था. लेकिन शो के निर्माताओं ने श्याम रंगीला को मोदीजी की मिमिक्री करने से मना कर दिया था, जब श्याम रंगीला ने कहा कि ये काम ही वो बेहतर कर सकता है, जो उसे ना सिर्फ बाकि प्रतिभागियों से अलग बनता है बल्कि उसे अच्छा प्रदर्शन करने में भी मदद करता है, तो श्याम रंगीला को पहले ही सप्ताह में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.
खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे https://timesofindia.indiatimes.com/tv/news/hindi/asked-not-to-mimic-pm-modi-rahul-comic-shyam-rangeela/articleshow/61246930.cms
अब सवाल ये उठता है कि जो ये फ़िल्म जगत से जुड़े जाने-माने नाम आज देशभर में हो रहे पद्मावती के विरोध का विरोध कर रहे है, संजय लीला भंसाली के समर्थन में ब्यान दे रहे है, ये सभी लोग श्याम रंगीला के पक्ष में कभी कुछ क्यों नहीं बोले? इन्होने क्यों कभी ये सवाल नहीं किया कि सबका मनोरंजन करने वाले श्याम रंगीला की गलती क्या थी जो उसे इस तरह से निकाल दिया गया. श्याम रंगीला ने मनोरंजन के लिए भले ही मोदी जी और राहुल गाँधी जी की नक़ल उतारी हो लेकिन उनका कभी अपमान नहीं किया, परन्तु संजय लीला भंसाली ने जाने अनजाने में महासती पद्मिनी का अपमान कर हिन्दू समाज की भावनाओ को ठेंस पहुंचाई है.
दिन-बी-दिन विवाद उग्र होता जा रहा है. केंद्र एवं राजस्थान प्रदेश दोनों ही जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद सरकार ने अभी तक इस मामले से दुरी बना राखी है. शुरुआत में छोटा-मोटा आंदोलन समझ कर केंद्र मंत्री स्मृति ईरानी ने बयान जरूर दिए थे, लेकिन गुजरात में अभी विधानसभा चुनाव होने वाले है और जल्द ही राजस्थान में भी दो लोकसभा (अजमेर व अलवर) की सीटों और एक विधानसभ सीट (मांडलगढ़) पर उपचुनाव होने है. दोनों ही प्रदेशो में राजपूत समाज बड़ा वोट बैंक है, इसलिए भाजपा सरकार बैकफुट पर नज़र आ रही है.
आनंदपाल एनकाउंटर केस के बाद राजपूत समाज वैसे भी भाजपा सरकार से नाराज़ है, ऐसे में भाजपा के कई राजपूत विधायकों ने अपना वोटबैंक बचाने के लिए सरकार की परवाह ना करते हुए पद्मावती फ़िल्म का विरोध किया है. ये कहना गलत नहीं होगा कि महासती पद्मिनी की मान-मर्यादा की रक्षा के लिए शुरू हुआ ये आंदोलन राजनैतिक गलियारों में आ कर भटक गया है.
गौरतलब है कि पद्मावती विवाद पर संजय लीला भंसाली का समर्थन करने वाले फ़िल्म इंडस्ट्री के ये लोग तब कहाँ थे जब हालही में राजस्थानी हास्य कलाकार श्याम रंगीला को मोदी जी की मिमिक्री करने पर एक शो से निकाल दिया गया था? इस तरह से एकजुट हो कर विरोध का विरोध करने वालो ने तब श्याम रंगीला का समर्थन क्यों नहीं किया?
श्याम रंगीला एक हास्य कलाकार है और मोदी जी की नक़ल उतारने में माहिर है और उसका ये ही अंदाज़ दर्शको को लुभाता है. YouTube पर मोदी जी एवं राहुल गाँधी जी की मिमक्री करके श्याम रंगीला ने देश में लोकप्रियता हांसिल की थी और उसी की वजह से उसे इस शो में लिया गया था. लेकिन शो के निर्माताओं ने श्याम रंगीला को मोदीजी की मिमिक्री करने से मना कर दिया था, जब श्याम रंगीला ने कहा कि ये काम ही वो बेहतर कर सकता है, जो उसे ना सिर्फ बाकि प्रतिभागियों से अलग बनता है बल्कि उसे अच्छा प्रदर्शन करने में भी मदद करता है, तो श्याम रंगीला को पहले ही सप्ताह में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.
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अब सवाल ये उठता है कि जो ये फ़िल्म जगत से जुड़े जाने-माने नाम आज देशभर में हो रहे पद्मावती के विरोध का विरोध कर रहे है, संजय लीला भंसाली के समर्थन में ब्यान दे रहे है, ये सभी लोग श्याम रंगीला के पक्ष में कभी कुछ क्यों नहीं बोले? इन्होने क्यों कभी ये सवाल नहीं किया कि सबका मनोरंजन करने वाले श्याम रंगीला की गलती क्या थी जो उसे इस तरह से निकाल दिया गया. श्याम रंगीला ने मनोरंजन के लिए भले ही मोदी जी और राहुल गाँधी जी की नक़ल उतारी हो लेकिन उनका कभी अपमान नहीं किया, परन्तु संजय लीला भंसाली ने जाने अनजाने में महासती पद्मिनी का अपमान कर हिन्दू समाज की भावनाओ को ठेंस पहुंचाई है.
दिन-बी-दिन विवाद उग्र होता जा रहा है. केंद्र एवं राजस्थान प्रदेश दोनों ही जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद सरकार ने अभी तक इस मामले से दुरी बना राखी है. शुरुआत में छोटा-मोटा आंदोलन समझ कर केंद्र मंत्री स्मृति ईरानी ने बयान जरूर दिए थे, लेकिन गुजरात में अभी विधानसभा चुनाव होने वाले है और जल्द ही राजस्थान में भी दो लोकसभा (अजमेर व अलवर) की सीटों और एक विधानसभ सीट (मांडलगढ़) पर उपचुनाव होने है. दोनों ही प्रदेशो में राजपूत समाज बड़ा वोट बैंक है, इसलिए भाजपा सरकार बैकफुट पर नज़र आ रही है.
आनंदपाल एनकाउंटर केस के बाद राजपूत समाज वैसे भी भाजपा सरकार से नाराज़ है, ऐसे में भाजपा के कई राजपूत विधायकों ने अपना वोटबैंक बचाने के लिए सरकार की परवाह ना करते हुए पद्मावती फ़िल्म का विरोध किया है. ये कहना गलत नहीं होगा कि महासती पद्मिनी की मान-मर्यादा की रक्षा के लिए शुरू हुआ ये आंदोलन राजनैतिक गलियारों में आ कर भटक गया है.
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