आनंदपाल Encounter Case: क्या भाजपा का मीडिया के ज़रिये घायल सोहन सिंह का इतेमाल करना राजनीति नहीं है?


आनंदपाल एनकाउंटर केस में जनता को असली मुद्दे से भटकाने की सरकार की नाकाम कोशिश ज़ारी है. दो दिन पहले ही भाजपा ने ETV Rajasthan के साथ मिल कर अपनी स्पेशल रिपोर्ट का हवाला दे कर सारा इलज़ाम कांग्रेस पार्टी और आन्दोलनकर्ता सामाजिक दलों पर डालने की कोशिश तो की, लेकिन उनके हाथ सफलता नहीं लग सकी.

दरअसल जिस बड़े खुलासे का मीडिया में ढिंढोरा पीटा गया, उसमे ना तो कांग्रेस की भूमिका स्पष्ट नज़र आयी और ना ही सामाजिक दलों पर कोई आरोप सिद्ध हो सके, उल्टा जनता ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और ETV Rajasthan के हेड श्रीपल शक्तावत को सोशल मीडिया पर जम कर कोसा.

बात बिगड़ती देख अब भाजपा ने नया दांव खेला है. आज मीडिया के साथ मिल कर आनंदपाल एनकाउंटर केस में घायल हुए कमांडो सोहन सिंह का इस्तेमाल किया गया है. सोहन सिंह घायल है और इसी पर स्पेशल रिपोर्ट्स सारे दिन मीडिया में दिखा कर जनता को भावनात्मक रूप से गुमराह करने की कोशिश की जा रही है.

आज सोहन सिंह की हालत गंभीर हो गयी, जिसके चलते उन्हें दिल्ली रेफेर किया गया. कमांडो सिंह को एयर एम्बुलेंस के ज़रिये दिल्ली के मेदांता अस्पताल में भेजा गया, जहाँ उनका इलाज किया जायेगा. लेकिन सोहन सिंह की गंभीर हालत के मौके का फायदा उठा कर भाजपा ने जनता को मीडिया के ज़रिये भावुक कर एक बार फिर मुद्दे से भटकाने की कोशिश की है, लेकिन घायल कमांडो के नाम का इस तरह से राजनैतिक फायदा उठाना निंदनीय है.

अब सवाल ये उठता है कि जिस सोहन सिंह पर मीडिया और भाजपा को आज इतना तरस आ रहा है, ये सहानभूति इतने दिनों तक कहा थी? आखिर क्यों मीडिया और सरकार ने सोहन सिंह की इतने दिनों तक सुध नहीं ली?  अच्छे इलाज के लिए सोहन सिंह को पहले ही बड़े शहर के किसी अस्पताल में क्यों नहीं भेजा गया? क्यों अभी तक इलाज में इतनी लापरवाही बरती जा रही थी? ये साफ़ है कि सरकार की प्राथमिकता अभी कुछ ओर ही है.

कांग्रेस पार्टी और भाजपा पर इस पुरे मामले का राजनैतिक फायदा उठाने का इलज़ाम लगाने वाली भाजपा सरकार और ETV Rajasthan क्या ये स्पष्ट कर सकते है कि आज इतने दिनों बाद सोहन सिंह के नाम का इस तरह से इतेमाल कर राजनीती नहीं है?

एक तरफ तो राजपूत समाज पीछे हटने को तैयार नहीं है, दूसरी तरफ प्रदेश में फैले तनाव के चलते जनता भाजपा सरकार से काफी नाखुश हो चुकी है. ऐसे में सवाल अभी भी वही है कि आखिर इस मामले में CBI  जांच से भाजपा सरकार क्यों बचने की कोशिश कर रही है? 

Comments

Popular posts from this blog

जब स्मृति ईरानी ने मंत्री बनते ही बीच में ही छोड़ दी थी फ़िल्म, फ़िर एक महारानी को इस तरह से नचाना कैसे बर्दाश्त करे हम?

What Indians are planning to do this New year while bringing in 2018?

Goibibo to promote its e-wallet GoCash+ through a new campaign featuring Deepika Padukone