आनंदपाल Encounter Case: साम दाम दंड भेद सब करवा लो, बस CBI जांच का नाम ना लो: राजस्थान सरकार (भाजपा)
बहुत ही बुरे दौर से गुज़र रहे है हम, जहाँ कभी राजपुताना कहलाये जाने वाले राजस्थान में आज राजपूतो को ही अपने हक़ के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
आज शाम आनंदपाल का अंतिम संस्कार कर दिया गया. जो लाश 20 दिनों तक इन्साफ का इंतज़ार करती रही, उसी के अंतिम संस्कार में उसके परिजनों को शामिल करना जरुरी नहीं समझा गया. जो समाज और वो लाखो समर्थक जो उसके लिए निस्वार्थ भाव से गोली खाने को भी तैयार थे, एक ही झटके में सब ख़त्म कर दिया.
अपने हक़ और इन्साफ के लिए आवाज़ उठाना गलत नहीं है, फिर क्यों हर उठने वाली आवाज़ को गोलियों से दबाने की कोशिश की जा रही है? ये कैसी तानाशाही है जहाँ किसान हो या आंदोलन कर रहा कोई युवा सभी को गोली मार कर चुप करवाया जा रहा है. ये केसा मीडिया है जिसे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है? जो पत्रकार इस पुरे मामले के पक्ष में लिख रहे है उन पर मुक़दमे करने की तैयार की जा रही है. मामला ठंडा होने के बाद सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार करने वालो को भी नहीं बक्शा जायेगा. आखिर ये कैसी सरकार है जिसे प्रचार से तो बहुत लगाव है, लेकिन सत्ता का दुरूपयोग करके दुष्प्रचार से हमेशा बच कर निकल जाना भी अच्छे से आता है.
अंतिम-संस्कार तो कर दिया गया, पर ये अंत नहीं है, एक नयी शुरुआत है! मेरा सवाल अभी भी वही है, आखिर CBI जांच करवाने से क्यों डर रही है सरकार? इंटरनेट बंद करवाने को तैयार हो जाती है, हज़ारो की संख्या वाला सुरक्षाबल लगवाने को तैयार, कर्फ्यू की घोषणा के लिए तैयार, लाठी चार्ज के लिए तैयार, गोलिया चला कर हत्या करने के लिए तैयार, जबरदस्ती अंतिम-संस्कार के लिए भी तैयार. साम दाम दंड भेद सब करवा लो, बस CBI जांच का नाम ना लो. '
अब सवाल ये भी उठता है कि राजपूत समाज और वे सभी सामाजिक दल जिन्होंने अपना समर्थन दिया है, क्या हाथ पर हाथ रख कर चुप बैठ जायेगे? आखिर सरकार क्यों ज़िद पर अड़ी हुयी है और सरकार की ज़िद के चलते और कितने लोगो को अपनी बलि देनी होगी?
आज शाम आनंदपाल का अंतिम संस्कार कर दिया गया. जो लाश 20 दिनों तक इन्साफ का इंतज़ार करती रही, उसी के अंतिम संस्कार में उसके परिजनों को शामिल करना जरुरी नहीं समझा गया. जो समाज और वो लाखो समर्थक जो उसके लिए निस्वार्थ भाव से गोली खाने को भी तैयार थे, एक ही झटके में सब ख़त्म कर दिया.
अपने हक़ और इन्साफ के लिए आवाज़ उठाना गलत नहीं है, फिर क्यों हर उठने वाली आवाज़ को गोलियों से दबाने की कोशिश की जा रही है? ये कैसी तानाशाही है जहाँ किसान हो या आंदोलन कर रहा कोई युवा सभी को गोली मार कर चुप करवाया जा रहा है. ये केसा मीडिया है जिसे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है? जो पत्रकार इस पुरे मामले के पक्ष में लिख रहे है उन पर मुक़दमे करने की तैयार की जा रही है. मामला ठंडा होने के बाद सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार करने वालो को भी नहीं बक्शा जायेगा. आखिर ये कैसी सरकार है जिसे प्रचार से तो बहुत लगाव है, लेकिन सत्ता का दुरूपयोग करके दुष्प्रचार से हमेशा बच कर निकल जाना भी अच्छे से आता है.
अंतिम-संस्कार तो कर दिया गया, पर ये अंत नहीं है, एक नयी शुरुआत है! मेरा सवाल अभी भी वही है, आखिर CBI जांच करवाने से क्यों डर रही है सरकार? इंटरनेट बंद करवाने को तैयार हो जाती है, हज़ारो की संख्या वाला सुरक्षाबल लगवाने को तैयार, कर्फ्यू की घोषणा के लिए तैयार, लाठी चार्ज के लिए तैयार, गोलिया चला कर हत्या करने के लिए तैयार, जबरदस्ती अंतिम-संस्कार के लिए भी तैयार. साम दाम दंड भेद सब करवा लो, बस CBI जांच का नाम ना लो. '
अब सवाल ये भी उठता है कि राजपूत समाज और वे सभी सामाजिक दल जिन्होंने अपना समर्थन दिया है, क्या हाथ पर हाथ रख कर चुप बैठ जायेगे? आखिर सरकार क्यों ज़िद पर अड़ी हुयी है और सरकार की ज़िद के चलते और कितने लोगो को अपनी बलि देनी होगी?
Comments
Post a Comment