ये ख़बर सुन कर फिल्म पद्मावती के निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली पर भड़का था राजपूत समाज

बहुचर्चित फिल्म पद्मावती तब विवादों में घिर गयी जब इसकी पूरी टीम जयपुर में शूटिंग करने आयी और राजपूत समाज के प्रतिनिधियों ने निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली पर हमले सहित जल महल में लगे सेट पर भी तोड़ फोड़ की. इस घटना की फिल्म इंडस्ट्री के तमाम लोगो सहित उन युवाओ ने भी निंदा की जो पुरे सच से वाखिफ़ नहीं थे. दरअसल पुरे घटनाक्रम को सही से देखा जाये तो ग़लती सिर्फ संजय लीला भंसाली की है, जिन्होंने समय रहते उन अफवाओं का खंडन नहीं किया जिन्होंने राजपूत समाज की भावनाओ को ठेंस पहुंचाई थी.

ये है पूरा मामला 

संजय लीला भंसाली रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोणे के साथ पहले भी दो फिल्मे बना चुके है, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर तो अच्छी कमाई की ही थी, साथ ही साथ दर्शको के दिल में रणवीर-दीपिका की जोड़ी ने एक ख़ास जगह बना ली. इसीके चलते संजय लीला भंसाली ने अपनी अगली फ़िल्म पद्मावती में भी रणवीर-दीपिका को लिया. दीपिका को तो टाइटल रोल मिल गया, लेकिन रणवीर सिंह को दीपिका के अपोजिट रावल रतन सिंह की जगह नकारात्मक भूमिका वाला अल्लाउद्दीन खिलजी का रोल ज्यादा पसंद आया और इसीलिए शाहिद कपूर के खाते में प्रदमाती के अपोजिट वाल राजपूत  सम्राट का चला गया.
लेकिन रणवीर-दीपिका की जोड़ी की लोकप्रियता के चलते शुरुआत से ही पब्लिसिटी के लिए सिर्फ़ पद्मावती और अल्लुद्दीन ख़िलजी के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा था. सभी मीडिया रिपोर्ट्स में यही लिखा जा रहा था कि फ़िल्म पद्मावती और ख़िलजी पर आधारित है. सिर्फ़ इतना ही नहीं लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए अपने विचारो की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करते हुए संजय लीला भंसाली ने रणवीर-दीपिका के बीच एक ड्रीम सीक्वेंस के बहाने रोमांटिक दृश्य भी लिखा, जिसे वे फिल्माने भी वाले थे.

मीडिया में ये दृशय चर्चा का विषय बन गया और हर तरफ इस के चर्चे होने लगे. जब इसकी भनक राजपूत समाज को लगी तो वो अपना आपा खो बैठे. गौरतलब है कि असल कहानी में ख़िलजी और पद्मावती का कभी सामना ही नहीं हुआ और अपनी आन बाण शान के लिए चित्तोड़ की रानी पद्मिनी ने जोहर की अग्नि की चादर ओढ़ ली थी. जिस रानी ने अपने सम्मान के लिए खुद के प्राण त्याग देना उचित समझा, उसी रानी की कहानी में फेर बदल करके इस तरह के दृशय से राजपूत समाज ने आपत्ति जताने के साथ-साथ आक्रोश भी व्यक्त किया, जो जायज़ भी है. क्योकि इस घटना ने रानी पद्मिनी का अपमान किया है जिससे राजपूत समाज सहित अन्य हिन्दू संगठनो ने भी आपत्ति जताई.
अगर मीडिया में रिपोर्ट गलत थी तो संजय लीला भंसाली ने खंडन क्यों नहीं किया?

जयपुर में हुयी बत्तमीज़ी के बाद संजय लीला भंसाली उस आपत्ति जनक दृशय के फ़िल्म में होने वाली बात से मुकर गए और उन्होंने सभी मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन करते हुए सभी को महज़ अफवाह बताया. लेकिन जब उन्हें पहले से ही पता था कि फ़िल्म को लेकर गलत अफ़वाए फ़ैल रही है और वो किसी समाज या व्यक्ति विशेष की भावनाओ को ठेंस पहुँचा सकती है तो उन्होंने समय रहते उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन क्यों नहीं किया? जब राजपूत समाज पहले से ही चेतावनी दे चूका था तो उन्होंने जयपुर आ कर 'आ बैल मुझे मार' वाला काम क्यों किया? यदि उनको रणवीर-दीपिका की जोड़ी में ज्यादा दिलचस्पी थी तो उन्होंने रणवीर को रावल रतन सिंह के रोल के लिए क्यों नहीं मनाया?

सब कुछ होने के बाद संजय लीला भंसाली सफाई तो पेश करते रहे, लेकिन वे भली भांति जानते है कि इन सभी घटनाओ के चलते उनकी फ़िल्म को अच्छी ख़ासी पब्लिसिटी मिली है जो आज कल पैसे दे कर भी बहुत से लोगो को नसीब नहीं हो पाती.
राजपूत समाज अभी भी है नाराज़; ये हो सकता है विकल्प 

रानी पद्मावती की कहानी ऐसी प्रेरणादायक है जो कि पुरे विश्व में सुनाई जानी चाहिए और फिल्मो के ज़रिये ये काम बहुत अच्छे से किया जा सकता है. संजय लीला भंसाली ने जयपुर में हुए प्रकरण के बाद फ़िल्म की कहानी में बदलाव करते हुए वे सभी आपत्तिजनक दृशय हटा दिए है. लेकिन राजपूत समाज अभी भी उन पर भरोसा करने को तैयार नहीं है, वे अभी भी उस अपमान से उबार नहीं पाए है और भंसाली को ले कर खासा आक्रोशित है.

लेकिन भंसाली चाहे हो राजपूत समाज के कुछ प्रतिनिधियों को फ़िल्म रिलीज़ से पहले दिखा कर NOC ले सकते है, जिससे कि राजपूत समाज आश्वस्त हो जाये कि फ़िल्म के ज़रिये इतिहास के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया जा रहा है. भंसाली ने दावा किया है कि इस फ़िल्म को देखने के बाद हर भारतीय को गर्व होगा कि इस भूमि पर एक ऐसी वीरांगना भी हुआ करती थी, जिसकी खूबसूरती के साथ-साथ शौर्य की गाथा आज भी सुनाई जाती है.

हालांकि संजय लीला भंसाली की टीम ने राजपूत समाज के संगठनों से आग्रह किया कि वे फिल्म देखे लेकिन, श्री राजपूत करनी सेना के अध्यक्ष लोकेन्द्र कालवी जी ने साफ़ इंकार करते हुए कहा कि ये फिल्म इतिहासकारो को दिखाई जाये, जिन्हे तथ्यों की समझ है. साथ ही साथ सभी सामाजिक संगठनो ने चेतावनी भी दी है कि यदि फ़िल्म में इतिहास के साथ छेड़ छाड़ की गयी या तथ्यों के परे कुछ भी दिखाया गया तो बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

गौरतलब है कि पद्मावती फ़िल्म से जुड़े सभी लोगो को पूरा विश्वास है कि ये फ़िल्म राजपूत समाज सहित पुरे विश्व में पसंद की जाएगी और ये शौर्य और सौंदर्य का प्रतिक चित्तौरगढ़ की महारानी पद्मिनी के साहस और बलिदान की गाथा को जन-जन तक पहुँचाएगी, जिसे देख सभी गौरान्वित महसूस करेंगे. 

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